भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपना नया 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड लॉन्च कर दिया है, जिसकी यील्ड 6.32% पर बंद हुई — जो पिछले तीन सालों में सबसे निचला स्तर है। इस कदम से RBI ने साफ कर दिया है कि वह उधारी लागत को स्थिर रखना चाहता है और अर्थव्यवस्था में नई नकदी डालने के लिए तैयार है।
क्यों लाया गया नया बॉन्ड?
पुराना 10-वर्षीय बॉन्ड निवेशकों में इतना पॉपुलर हो गया था कि इसमें ₹1.84 लाख करोड़ से ज्यादा की राशि जमा हो चुकी थी। ज्यादा भीड़भाड़ से बचने और निवेशकों को नया विकल्प देने के लिए RBI ने यह नया बॉन्ड जारी किया है। इससे सरकार की उधारी योजना भी और संतुलित बनेगी।
बॉन्ड बाजार में दिखी रौनक
बॉन्ड बाजार में निवेशकों का मूड तभी से बेहतर हो गया जब RBI ने मई में ₹1.25 लाख करोड़ के बॉन्ड खरीदने का ऐलान किया। इस बड़े सपोर्ट का मकसद यील्ड को नीचे रखना और लोनिंग को बढ़ावा देना है ताकि बाजार में कैश फ्लो बना रहे।
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए क्या मतलब है?
कम बॉन्ड यील्ड का मतलब है सस्ते कर्ज। इससे सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि आम लोग और कंपनियां भी सस्ते ब्याज दरों पर पैसा ले सकेंगी। इससे निवेश और खर्च दोनों में तेजी आ सकती है, जो कि भारत की आर्थिक ग्रोथ के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि, निवेशक अभी भी अमेरिका के बांड यील्ड और कच्चे तेल की कीमतों पर नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि ये घरेलू यील्ड को ऊपर धकेल सकते हैं।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर RBI अपनी मौजूदा सहायक नीति जारी रखता है, तो नए 10-वर्षीय बॉन्ड की यील्ड और नीचे जा सकती है। अब सबकी निगाहें आने वाले महीनों में वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों पर टिकी हैं।